Monday, January 13, 2020

लालची प्याज वाला | Short story in hindi for class 8 | hindi moral stories

लालची प्याज वाला | Short story in hindi for class 8 | hindi moral stories

लालची प्याज वाला | Short story in hindi for class 8 | hindi moral stories

एक लंबे समय पहले एक गाँव में अभिनय और अरविंद नामक दो दोस्त रहते थे अभिनय बहुत लालची था और हमेशा सब कुछ उसकी ही इच्छा के अनुसार हो ऐसे सोचता था अरविंद बहुत अच्छा इंसान था वो स्थितियों के अनुसार व्यवहार करता था अभिनय और अरविंद दोनों साथ में प्याज का व्यापार करते थे जो प्याज को बेचते थे उनको वो प्याज की खेती करने वाले किसान से कम पैसे देकर ज्यादा मात्रा में खरीद के दाम बढ़ा के बेचते थे प्याज ताजा प्याज ले लो भाई लेलो ऐसे ज़ोर से चिल्ला के अभिनय और अरविंद प्याज बेजाते थे जब एक आदमी प्याज लेने उनकी दुकान आता हैं और बोलता हैं प्याज कितना का हैं बाबू पचास रुपये भाषा प्यास लूँगा चालीस में दे दूंगा ठीक है लीजिए जी क्या बात हुई अरविंद तुमने चालीस रुपये में हाँ कह दिया तुम कुछ नहीं जानते हों मैं बात करता हूँ भाई साहब आप दस किलो ले लेंगे तो भी चालीस रुपये के दाम प्याज नहीं बेचेंगे हमारा नुकसान होगा अब आपकी मर्ज़ी अभिनय के कठोर तरीके से बात करने के कारण वो आदमी वहाँ से चला जाता है अपने दाम पर बेचते हैं तो उसे देख एक के बाद एक हमारे पास इसी नाम से खरीदने आएँगे हमें खरीदते हुए पैसों से ज्यादा दाम के लिए भेजना होगा वरना हमारा नुकसान होगा कल वोही आदमी हमारे पास आएगा इसी दाम से ख़रीदे तुम ज्यादा मत सोचो अभिनय की बातें सुनकर अरविन्द कुछ नहीं कहता और अगले दिन अभिनय के बात के अनुसार वो आदमी  लौट के दुकान आता हैं प्याज खरीदने ठीक है तुम्हारे दाम में पांच किलो की प्याज दे दो और अभिनय प्याज देके पैसे लेता है देखा तुमने अरविन्द अगर कल हमने चालीस के दाम पर बेचा होता तो पचास रुपये का नुकसान होता है अभिनय हमेशा ऐसे वृद्धि होना अच्छा नहीं है हमें परिस्थितियों के अनुसार चलना होगा वरना बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा तुम्हारे काहे के प्रकार करेंगे तो सिर्फ नुकसान मिलेगा अरविंद अपने दोस्त समझा के इरादे से उसे कुछ नहीं कह पाता दुकान में प्याज कम होने के कारण अगले दिन दोनों प्याज खरीदने जाते हैं 
और वह प्याज महंगे दाम पर ले आते हैं और अगले दिन  प्याज का रेट बहुत कम हो जाता है अरविंद हर रोज अख़बार पड़ता था और इसलिए अरविंद को
अभिनय से पहले पता चल जाता है और वह अभिनय को बताने जाता हैं क्युकी वह सब को ज्यादा रेट में प्याज बचे देगा और प्याज कोई नहीं लेगा पर अभिनय
अरविंद की कोई बात नहीं मानता और प्याज को
ज्यादा रेट में ही बचे ता हैं और अरविंद अपने दोस्त की बात माना कर सभी प्याज अपने पास रख लेता हैं और प्याज का रेट ज्यादा होने का इंतजार करते हैं और बहुत दिनों के बाद अरविंद को पता चलता हैं कि प्याज के दाम बहुत जायदा हो गए हैं और वह दोनों
प्याज लेकर अपनी दुकान पर आ जाते हैं और वह 1 किलो प्याज 300 में बेचते हैं और गाओवाले प्याज का इतना दाम सुना कर हैरान हो जाते हैं मगर सबको प्याज की जरूरत थी इसलिए वे 300 किलो मैं ही प्याज को ले लेते हैं इस तरह से अरविंद और अभिनय के उपहार में बहुत लाभ होता है और इस तरह अभिनय का लालच और भी बढ़ जाता है और वह अरविंद की जरा से भी बात नहीं सुनता और अभिनय अपने लालच के कारण अरविंद की कोई बात नहीं सुनता और इस तरह अभिनय गांव का सारा प्याज खरीद लेता है और प्याज का दाम बढ़ने का इंतजार करता है और इस तरह अभिनय को प्याज को ज्यादा दामों पर बेचने की आदत हो गई थी और इस तरह प्याज का दाम बढ़ने में हफ्तों से महीनों में बदल गया और इस तरह प्याज को अपने घर में रखे हुए अरविंद को उसमें से बदबू आने का पता चलता है और वह देखता है कि सारे प्याज गर्ल गए हैं और अरविंद अभिनय को तुरंत यह बात बताता है और वे अभिनय को साड़ी हुई प्याज दिखाता है यह देख कर अभिनय को अपनी लालच और गलती का एहसास होता है और इस तरह अभिनय और अरविंद अगले दिन से सही दामों पर प्याज को बेचना लगे

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