कंजूस सांस और होशियार बहू | bedtime stories for babies in hindi
एक गांव में पार्वती नाम की औरत रहती थी उसका एक इकलौता बेटा था उनके पास खेत अपना मकान और बहुत सारी भेड़ बकरियां थी फिर उसने एक दिन अपने बेटे की शादी करवा दी और नई बहू घर पर आ गई सब कुछ ठीक चल रहा था पर एक दिन पार्वती अपनी कंजूसी से बहू को कुछ खाने नहीं देती थी और अपनी सांस का ऐसा बर्ताव देखकर मीना को बहुत गुस्सा आता है क्योंकि उसकी सास ना तो आप कुछ खाती थी और ना ही किसी और को खाने देती थी मीना बेचारी हर रोज आधा पेट खाकर ही सो जाती थी और वह अपने पति को कहती है सुनिए जी मम्मी जी का बर्ताव मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता भगवान का दिया हुआ हमारे पास सब कुछ है लेकिन फिर भी मम्मी जी मुझे रोज तंग करती है और कुछ खाने को नहीं देती है तभी मीना का पति कहता है कि मैं मम्मी जी को बचपन से देख रहा हूं उनका स्वभाव ऐसा ही है अगर तुम्हें कुछ खाने को चाहिए हो तो तुम मुझे कह दिया करो मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को ला दिया करूंगा और विजय ने अपनी पत्नी को समझाया पर मीना हमेशा ही अपने सास के बर्ताव से परेशान रहती थी एक दिन मीना को दोसा खाने का बड़ा मन कर रहा था तो उसने दाल को पानी में भिगोकर रख दिया और अगली सुबह उस दाल को पीसने लगी और इतने में उसकी सास वहां पर आ गई और कहने लगी यह क्या है बहू यह क्या बना रही हो तो मीना कहती है की मम्मी जी मैं डोसा बना रही हूं तो उसकी सास कहती है चलो ठीक है दो मेरे लिए भी बना देना और कुछ अपने लिए बना लेना और बचा हुआ आटा हम रात को खा लेंगे यह सुनकर मीना ने कहा ठीक है मम्मी जी और भी ना वहां से चली जाती है यह सोचकर मीना ने एक उपाय सोचा डोसा बनाने के लिए रसोई में जाकर चूल्हे में तवा रख दिया और तवा गर्म होने पर उस पर पानी मारने लगी और सुरूर की आवाज आने लगी यह सुनकर उसकी सास रसोई में आई मीना की सास कहती है मुझे तो लगा था कि तुमने डोसा बना लिया मीना ने कहा नहीं मां जी मैं तो तवे को चेक कर रही थी कि वह गर्म हुआ या नहीं इस पर मीना की सास बोली ठीक है ठीक है मैं तुम्हें डोसा बनाकर दिखाती हूं
यह कहकर पार्वती ने तवे पर आटा डाला और दो डोसा बनाकर तैयार कर दिए और कहां यह देखो इतना सा ही काम है मैं डोसा खाने के लिए ले जा रही हूं और तुम भी अपने लिए दो डोसा बना लेना इतनी बात बोल कर वह डोसा लेकर चली गई फिर मीना ने अपने लिए दो डोसा बनाकर तैयार कर लिए इतने में ही मीना की सांस वहां पर आई और कहने लगी मुझे दो बार सूर की आवाज आई तुमने दो डोसा बना लिया ना तो अभी बस करो इतने में मीना ने कहा नहीं मम्मी जी मैंने तो यह देखा था की तवा गर्म हुआ या नहीं इसलिए मैंने उस पर पानी डाला था तभी आपको वह आवाज आने लगी और अब तवा गर्म हो चुका है तो अभी डोसा बनाऊंगी तभी मीना कि सास ने सोचा कि इसे तो यह भी नहीं पता की तवा गर्म हुआ या नहीं तो यह डोसा क्या बनाएगी और यह सोच कर पार्वती वहां से चली गई इस तरह मीना ने तीन चार बार किया और इस तरह मीना ने चार पच डोसा बना लिए और खाने लगी और उस दिन मीना ने पेट भर कर खाना खाया और वह भी उसके मनपसंद डोसा तो देखा आपने मीना कितनी होशियारी से अपनी सास को बुद्धू बना गई से हमें यह पता चलता है कि हमें कभी भी जरूरत से ज्यादा कंजूसी नहीं करनी चाहिए और पेट भर कर खाना चाहिए
यह कहकर पार्वती ने तवे पर आटा डाला और दो डोसा बनाकर तैयार कर दिए और कहां यह देखो इतना सा ही काम है मैं डोसा खाने के लिए ले जा रही हूं और तुम भी अपने लिए दो डोसा बना लेना इतनी बात बोल कर वह डोसा लेकर चली गई फिर मीना ने अपने लिए दो डोसा बनाकर तैयार कर लिए इतने में ही मीना की सांस वहां पर आई और कहने लगी मुझे दो बार सूर की आवाज आई तुमने दो डोसा बना लिया ना तो अभी बस करो इतने में मीना ने कहा नहीं मम्मी जी मैंने तो यह देखा था की तवा गर्म हुआ या नहीं इसलिए मैंने उस पर पानी डाला था तभी आपको वह आवाज आने लगी और अब तवा गर्म हो चुका है तो अभी डोसा बनाऊंगी तभी मीना कि सास ने सोचा कि इसे तो यह भी नहीं पता की तवा गर्म हुआ या नहीं तो यह डोसा क्या बनाएगी और यह सोच कर पार्वती वहां से चली गई इस तरह मीना ने तीन चार बार किया और इस तरह मीना ने चार पच डोसा बना लिए और खाने लगी और उस दिन मीना ने पेट भर कर खाना खाया और वह भी उसके मनपसंद डोसा तो देखा आपने मीना कितनी होशियारी से अपनी सास को बुद्धू बना गई से हमें यह पता चलता है कि हमें कभी भी जरूरत से ज्यादा कंजूसी नहीं करनी चाहिए और पेट भर कर खाना चाहिए
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