short story in hindi for class 8 | Nandi ki kahani
जब भी हम भगवान शिव की बात करते हैं तो हम मां पार्वती और उनके गले में जो सांप होता है उसकी ज्ञान होता है इन सब हमें नंदी जी का भी पता चलता है नंदी जी भगवान शिव के वाहक है और वह हमेशा भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर उनके साथ ही रहते हैं तो आज हम आपको बताएंगे कि नंदी जी का जन्म कैसे हुआ और उनके पीछे की क्या कहानी थी
बहुत समय की बात है शेलाधर नाम के साधु रहते थे परंतु उनका कोई पुत्र नहीं था पुत्र प्राप्ति के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना और पूजा करनी शुरू की और उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या की
तपस्या से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए उन्होंने
शेलाधर से कहा हम तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए आपको वरदान मैं क्या चाहिए फिर शेलाधर बोले कि उनकी एक ही कामना है कि उनका एक पुत्र हो इस पर शिव भगवान मुस्कुराए और कहां कि तुम्हारी यह कामना जल्द ही पूरी होगी हम तुम्हें वरदान देते हैं तथास्तु यह कहकर शिव भगवान वहां से चले गए यह सुनकर शेलाधर खुशी खुशी अपने घर वापस आ गए
और अगले दिन जब वह खेती करने अपने खेत में गए तो वहां पर हल चलाने लगे हल चलाते चलाते उनके सामने एक प्यारा सा सुंदर सा लड़का पड़ा हुआ मिला
और उस लड़के में भगवान शिव जैसा तेज था और तभी वहां पर एक भविष्य वाणी हुई के इस बच्चे को अपने साथ घर ले जाओ और इसकी अच्छी तरह से देखभाल करो यह सुनकर शेलाधर उस बच्चे को अपने घर ले और उस लड़के का नाम नंदी रखा नंदी बहुत ही समझदार और ज्ञानी थे शेलाधर नंदी पर बहुत गर्व महसूस करते थे और कई वर्षों के बाद दो ऋषि मित्रा और वरुण शेलाधर के घर आए और फिर शेलाधर ने अपने बेटे नंदी को बुलाया और कहां बेटा नंदी तुम्हारा करतब है कि तुम इन दोनों ऋषि को की सेवा करो इनकी देखभाल करो नंदी मुस्कुराए फिर नंदी ने उन
ऋषि की बहुत सेवा की अपनी आगे की यात्रा शुरू करने के लिए उन दो ऋषि ने आश्रम से प्रस्थान करने की अनुमति ली जाने से पहले नंदी और शेलाधर मैं उनसे वरदान मांगा ऋषि ने पहले शेलाधर को आशीर्वाद दिया फिर उन्होंने नंदी को आशीर्वाद दिया और कहा कि अपने माता पिता की सेवा करो शेलाधर ने ऋषि हाव भाव देखा तो घर के बाहर उनके पास आ गया और उनसे पूछा आपने मेरे बेटे नंदी को आशीर्वाद देते समय कुछ गंभीर होते हुए बोले थे क्या हमसे कोई गलती हो गई है कृपया बताएं तभी मित्रता ऋषि बोले कि मैं आपके बेटे को लंबी उम्र का आशीर्वाद नहीं दे सकता शेलाधर दुखी हो गया और पूछा कि मेरे बेटे को क्या होने वाला है यह सुनकर वरुण ऋषि बोले कि आपके बेटे के पास ज्यादा समय नहीं है यह बात बोलने के लिए मुझे खेद है परंतु यही सत्य है शेलाधर यह बात सुनकर गंभीर और दुखी हो गया बहुत समय बताने के बाद शेलाधर अपने आश्रम लौट आए नंदी ने अपने पिता को देखकर अनुमान लगाया कि कुछ तो गड़बड़ है और नंदी ने अपने पिता से पूछा की क्या बात है पिता जी फिर शेलाधर ने उन दो ऋषि की बात नंदी को बताई और उनको लगा कि यह बात सुनकर नंदी रोएगा और वह गंभीर उदास हो जाएगा मगर नंदी
हंसने लगा हा हा हा... पिताजी आप उन ऋषि की बात सुनकर गंभीर क्यों हो गया यह सुनकर शेलाधर चौक गए और कहने लगे पिताजी आपने मुझे खुद बताया है कि आपने भगवान शिव को देखा तो कहने लगे कोई भी व्यक्ति जिसने भगवान को देखा है वह इन दो ऋषि की बात सुनकर आपको दुखी नहीं होना चाहिए अगर मेरे भाग्य मे जल्दी ही मरण लिखा है तो भगवान शिव मेरे भाग्य को बदल सकते हैं और वह शक्तिशाली और कुछ भी कर सकते हैं यह सुनकर नंदी के पिता ने उसे आशीर्वाद दिया विजई भव फिर नंदी जमुना नदी के पास गया नदी में प्रवेश किया फिर अपनी तपस्या पर बैठ गया नंदी की भक्ति देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और एक दिन नंदी के सामने प्रगट हुए फिर भगवान शिव ने कहा नंदी अपनी आंखे खोलो नंदी ने अपनी आंखें खोली और उसने देखा कि उनके सामने भगवान शिव थे और नंदी भगवान शिव को बस देखते ही रहे और उसने तुरंत कहा कि कितना अच्छा होता कि मैं हमेशा भगवान के साथ रहता फिर भगवान शिव ने कहा मांगो जो भी तुम्हें चाहिए वह तुम्हें मिल जाएगा नंदी ने कहा भगवान मैं हमेशा आपके साथ रहना चाहता हूं शिव भगवान यह सुनकर मुस्कुराए और कहा कि तुम्हारा चेहरा अब बैल जैसा होगा और तुम हमेशा मेरे साथ कैलाश पर्वत पर रहोगे और तुम हमेशा के लिए मेरे गानों के मुखिया बन जाओगे और तथा मेरा वाहन बनोगे तब से नंदी भगवान शिव के वाहन बने और इस तरह नंदी में भगवान शिव की पूजा करते हुए अपना भाग्य बदल लिया
बहुत समय की बात है शेलाधर नाम के साधु रहते थे परंतु उनका कोई पुत्र नहीं था पुत्र प्राप्ति के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना और पूजा करनी शुरू की और उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या की
तपस्या से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए उन्होंने
शेलाधर से कहा हम तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए आपको वरदान मैं क्या चाहिए फिर शेलाधर बोले कि उनकी एक ही कामना है कि उनका एक पुत्र हो इस पर शिव भगवान मुस्कुराए और कहां कि तुम्हारी यह कामना जल्द ही पूरी होगी हम तुम्हें वरदान देते हैं तथास्तु यह कहकर शिव भगवान वहां से चले गए यह सुनकर शेलाधर खुशी खुशी अपने घर वापस आ गए
और अगले दिन जब वह खेती करने अपने खेत में गए तो वहां पर हल चलाने लगे हल चलाते चलाते उनके सामने एक प्यारा सा सुंदर सा लड़का पड़ा हुआ मिला
और उस लड़के में भगवान शिव जैसा तेज था और तभी वहां पर एक भविष्य वाणी हुई के इस बच्चे को अपने साथ घर ले जाओ और इसकी अच्छी तरह से देखभाल करो यह सुनकर शेलाधर उस बच्चे को अपने घर ले और उस लड़के का नाम नंदी रखा नंदी बहुत ही समझदार और ज्ञानी थे शेलाधर नंदी पर बहुत गर्व महसूस करते थे और कई वर्षों के बाद दो ऋषि मित्रा और वरुण शेलाधर के घर आए और फिर शेलाधर ने अपने बेटे नंदी को बुलाया और कहां बेटा नंदी तुम्हारा करतब है कि तुम इन दोनों ऋषि को की सेवा करो इनकी देखभाल करो नंदी मुस्कुराए फिर नंदी ने उन
ऋषि की बहुत सेवा की अपनी आगे की यात्रा शुरू करने के लिए उन दो ऋषि ने आश्रम से प्रस्थान करने की अनुमति ली जाने से पहले नंदी और शेलाधर मैं उनसे वरदान मांगा ऋषि ने पहले शेलाधर को आशीर्वाद दिया फिर उन्होंने नंदी को आशीर्वाद दिया और कहा कि अपने माता पिता की सेवा करो शेलाधर ने ऋषि हाव भाव देखा तो घर के बाहर उनके पास आ गया और उनसे पूछा आपने मेरे बेटे नंदी को आशीर्वाद देते समय कुछ गंभीर होते हुए बोले थे क्या हमसे कोई गलती हो गई है कृपया बताएं तभी मित्रता ऋषि बोले कि मैं आपके बेटे को लंबी उम्र का आशीर्वाद नहीं दे सकता शेलाधर दुखी हो गया और पूछा कि मेरे बेटे को क्या होने वाला है यह सुनकर वरुण ऋषि बोले कि आपके बेटे के पास ज्यादा समय नहीं है यह बात बोलने के लिए मुझे खेद है परंतु यही सत्य है शेलाधर यह बात सुनकर गंभीर और दुखी हो गया बहुत समय बताने के बाद शेलाधर अपने आश्रम लौट आए नंदी ने अपने पिता को देखकर अनुमान लगाया कि कुछ तो गड़बड़ है और नंदी ने अपने पिता से पूछा की क्या बात है पिता जी फिर शेलाधर ने उन दो ऋषि की बात नंदी को बताई और उनको लगा कि यह बात सुनकर नंदी रोएगा और वह गंभीर उदास हो जाएगा मगर नंदी
हंसने लगा हा हा हा... पिताजी आप उन ऋषि की बात सुनकर गंभीर क्यों हो गया यह सुनकर शेलाधर चौक गए और कहने लगे पिताजी आपने मुझे खुद बताया है कि आपने भगवान शिव को देखा तो कहने लगे कोई भी व्यक्ति जिसने भगवान को देखा है वह इन दो ऋषि की बात सुनकर आपको दुखी नहीं होना चाहिए अगर मेरे भाग्य मे जल्दी ही मरण लिखा है तो भगवान शिव मेरे भाग्य को बदल सकते हैं और वह शक्तिशाली और कुछ भी कर सकते हैं यह सुनकर नंदी के पिता ने उसे आशीर्वाद दिया विजई भव फिर नंदी जमुना नदी के पास गया नदी में प्रवेश किया फिर अपनी तपस्या पर बैठ गया नंदी की भक्ति देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और एक दिन नंदी के सामने प्रगट हुए फिर भगवान शिव ने कहा नंदी अपनी आंखे खोलो नंदी ने अपनी आंखें खोली और उसने देखा कि उनके सामने भगवान शिव थे और नंदी भगवान शिव को बस देखते ही रहे और उसने तुरंत कहा कि कितना अच्छा होता कि मैं हमेशा भगवान के साथ रहता फिर भगवान शिव ने कहा मांगो जो भी तुम्हें चाहिए वह तुम्हें मिल जाएगा नंदी ने कहा भगवान मैं हमेशा आपके साथ रहना चाहता हूं शिव भगवान यह सुनकर मुस्कुराए और कहा कि तुम्हारा चेहरा अब बैल जैसा होगा और तुम हमेशा मेरे साथ कैलाश पर्वत पर रहोगे और तुम हमेशा के लिए मेरे गानों के मुखिया बन जाओगे और तथा मेरा वाहन बनोगे तब से नंदी भगवान शिव के वाहन बने और इस तरह नंदी में भगवान शिव की पूजा करते हुए अपना भाग्य बदल लिया
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